जिला शिक्षा विभाग में अनेक वर्षों से जेम अधिकारियों पर भी हो कारवाही

मंदसौर जिला शिक्षा विभाग अधिकारी एवं शिक्षा विभाग में अनेक वर्षों से जमे हुए जिम्मेदार अधिकारी की सांठगांठ एवं लापरवाही की पोल खोल कर सामने आने लगी है शासकीय स्कूलों में शिक्षक कहें या अध्यापक कहें या टीचर कहें या प्रिंसिपल कहें यह जिम्मेदार बीएमओ के नाम से नौकरी करने वालों से पूछो जिला कलेक्टर मंदसौर एवं मध्य प्रदेश शिक्षा मंत्री स्कूलों में बच्चे क्यों नहीं आ रहे हैं और पढ़ने क्या कारण है और स्कूलों में पढ़ने वाले शिक्षकों से यह पूछा जाए कि आपके क्लास में कितने बच्चे पढ़ रहे हैं तो शिक्षक कहेगा कि सर यहां तो 50 बच्चे एवं 80 बच्चे पढ़ रहे हैं आप रजिस्टर चेक करके देख लो यह कहना और रजिस्टर मैं सिर्फ खानापूर्ति तक रजिस्टर सीमित में रह गया है सच तो यह है कि स्कूलों में कहीं 5 बच्चे क्लास में तो कहीं 20 बच्चे क्लास में कहीं 10 बच्चे एक क्लास में पढ़ते हुए देखे जाएंगे अगर यकीन नहीं आता तो अभी मार्च में परीक्षा में क्लास में कितने बच्चे उपस्थित रहेंगे और कितने स्कूल के बच्चे परीक्षा देंगे और रजिस्टर में कितने बच्चे आते हैं स्कूल में इस परीक्षा से शिक्षा विभाग की कार्यशैली एवं शिक्षकों की पोल खोल कर सामने आ जाएगी तर्पण की चमक के पत्रकारों के सर्वे में यह सच्चाई दिखाई जा रही है मंदसौर खंड की बात करें तो चलने वाले स्कूलों की यह हालत है तो मंदसौर जिले के स्कूलों की क्या हालत होगी अगर इसी तरह से स्कूलों की हालत देखी जा सकती है तो मध्य प्रदेश के शासकीय स्कूलों की क्या हालत हो रही है कारण हमारे जिम्मेदारों ने अपनी जिम्मेदारी से पीछे तो नहीं हट गए और मोबाइल ऑफर व्हाट्सएप चला चला कर समय पास करने के लिए स्कूलों में तो नहीं जा रहे हैं वहां पर भी यह देखा जा सकता है कि शिक्षक मोबाइल का बैठे-बैठे व्हाट्सएप में मस्त रहते हैं शासकीय शासकीय स्कूलों में अगर 1020 बच्चों की संख्या होती है तो उन स्कूलों में 2 शिक्षक और एक अतिथि भी दिखाई देते हैं जो सिर्फ समय पास करना नौकरी के नाम से मासिक हजारों रुपए से लेकर लाखों रुपए प्रतिमाह पगार लेना शासन से काम कुछ नहीं पूछो तो कहते हैं सर स्कूल पढ़ाने जा रहे हैं वह कितने बच्चों को स्कूल पढ़ा रहे हैं दर्द गीत बच्चों को पढ़ाने वाले स्कूलों में लाखों रुपए शिक्षा के नाम से एक ही स्कूल को तनखा दी जाती है तो सोचो करोड़ों रुपए या शिक्षा के नाम से शासन शिक्षकों को तनख्वाह बांट रही है तो यह पैसा शासन के घर का नहीं है यह पैसा हम जैसे गरीब मजदूरों का पैसा है जो शासन को टैक्स के नाम का दिया जाता है यह पैसा आमजन एक-एक नागरिक का है इस पैसे को नौकरी के नाम पर लुटाओ मत हम गरीब परिवार के खून पसीने का पैसा इस पैसे से विकास करो रोजगार दो इन बातों पर शासन का ध्यान है लेकिन जरूरतमंद तक पैसा एवं योजनाओं के माध्यम से पहुंचाओ ऐसे शासकीय स्कूलों में 5 10 20 बच्चे वाले स्कूलों में 2 शिक्षक और अतिथि पढ़ाने वाले स्कूलों पर ताले लगाओ या फिर ऐसे स्कूलों को चलाने वाले शिक्षकों पर कार्यवाही करो मंत्री जी जिला शिक्षा विभाग अधिकारी ऐसे शिक्षकों की कार्यशैली से यह समझा जा सकता है कि प्राइवेट स्कूल वालों को कहीं सीधा फायदा तो नहीं पहुंचाया जा रहा है हो सकता है ऐसे शिक्षक कुछ घर पर बैठकर अन्य बच्चों को ट्यूशन के नाम पर बुलाकर अपनी दुकानदारी चला रहे हो या अपने परिवार के लोगों के स्कूलों में बच्चों को पहुंचाने का काम भी कर रहे हो या यह समझा जा सकता है समय-समय पर स्कूलों में नहीं पहुंच रहे हो शिक्षक कारण यही है कि ग्रामीण क्षेत्र में स्कूल चलाने वालों में कोई अधिकारी जांच करने सही समय पर नहीं पहुंच पाते हो समझा जाए कि शिक्षक अपनी मांगों को लेकर शासन से चाहे वह पैसे वाला मामला हो नौकरी के नाम पर बढ़ाने वाला मामला हो या अन्य योजना बताते हैं यह सब कुछ इसलिए किस समय समय पर शिक्षकों के आंदोलन भी चलते रहते हैं और मांगे बहुत होती है अगर अभी भी इस समाचार के बाद भी मंदसौर कलेक्टर जिला शिक्षा विभाग अधिकारी एवं शिक्षा मंत्री मध्यप्रदेश शासन को शिक्षकों की लापरवाही पर कार्रवाई करें या ऐसे स्कूलों को बंद करें आम जनता के पैसों को शिक्षा के नाम पर नहीं लुटा व अब तो ऐसा लगता है कि वह दिन अब दूर नहीं ऐसे शासकीय स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने वाले शिक्षकों के विरोध में समाज सेवा एवं ग्रामीण क्षेत्र कहीं रोड पर ना जाएं एवं आंदोलनकारी ना बन जाए शिक्षा मंत्री एवं जिला कलेक्टर मंदसौर शिक्षा अधिकारी ऐसे स्कूलों को चलाने वाले शिक्षकों के विरोध कोई ठोस कार्रवाई करें ऐसे शिक्षकों की कारण स्कूलों में बच्चों की कमी एवं शासन से बैठे-बैठे नौकरी के नाम पर मासिक तनखा बटोर रहे हैं लोगों का कहना है कि शिक्षा के नाम पर 1020 बच्चे पढ़ाने वाले शिक्षकों को करोड़ों रुपया सरकार को अब नहीं लूट आने देंगे जापान 10 बच्चे पढ़ते हो स्कूलों पर 22 शिक्षक एवं 11 अतिथि दिखाई देते हैं ऐसा ही मामला मंदसौर तहसील खेड़ी माध्यमिक विद्यालय 678 तक की क्लास लगती है मां बच्चों की संख्या 1020 नजर आती है दूसरी ओर उत पूरा हाई स्कूल मैं भी यहां पर नोट 10 क्लास लगती है यहां पर भी बच्चों की संख्या 10 से 20 नजर आई क्या इसी तरह से जिले के स्कूल चलते रहेंगे क्या शासकीय अध्यापक शिक्षा के नाम पर खुलेआम धज्जियां उड़ाते रहेंगे और मासिक तनखा लेकर मौज मस्ती करते रहेंगे जागो मध्यप्रदेश शासन जागो मध्यप्रदेश शासन